हिंदुस्तान की इस लड़ाई में तीन विद्युत क्लास मिसाइल बोट, दो एंटी सबमरीन और एक टैंकर शामिल किया गया था। भारत के सैनिकों ने कराची में रात को आक्रमण करने की योजना बनाई थी जिससे पाकिस्तान को हराया जा सके क्योंकि पाकिस्तान के पास ऐसा कोई मिसाइल और अभिमान नहीं था जिससे रात में लड़ाई किया जा सके इसीलिए इस युद्ध में भारत का कोई भी सैनिक शहीद नहीं हुआ था परंतु पाकिस्तान के 500 सैनिक मारे गए थे और 700 से भी अधिक सैनिक घायल हुए थे।
इस युद्ध में भारत का कोई नुकसान नहीं हुआ था इसलिए यह अभियान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नौसैनिक इतिहास में सबसे सफल युद्ध माना जाता है जिसमें भारत देश को ही जीत हुई थी। इसी जीत की कामयाबी पर हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।
भारतीय नौसेना की शुरुआत 17 वीं शताब्दी में हुई थी। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक समुद्री सेना दल का गठन किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से स्थापना की। यह दल “द ऑनर एबल ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन” कहा जाता था बाद में इसी को बदलकर “द बांबे मरीन” कहा गया।
भारत के पहले विश्व युद्ध के समय नौसेना का नाम रॉयल इंडियन मरीन रख दिया गया था। 26 जनवरी सन् 1950 में जब भारत पूरी तरह से गणतंत्र देश बना तभी भारतीय नौसेना ने अपना नाम रॉयल इंडियन मरीन से रॉयल हटा दिया। भारतीय नौसेना में 32 नौ परिवहन जल जहाज और लगभग 11000 अधिकारी और नौसैनिक थे।
1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाकर पाकिस्तान के कराची हर्बर को मिटा दिया था जो पाकिस्तान नौसेना का मुख्यालय था। ऐसे में भारतीय नौसेना के खतरनाक हमले से पाकिस्तान की नौसेना कमजोर पड़ गई थी और हार गई थी।
भारतीय नौसेना ने जल सीमा में कई बड़े कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सन् 1961 में भारतीय नौसेना ने गोवा से पुर्तगालियों को भगाने में थल सेना की सहायता की थी।
भारतीय नौसेना का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया है जिसका नियंत्रण मुख्य नौसेना ऑफिसर एडमिरल के हाथों में होता है। नौसेना भारतीय सेना का एक सामुद्रिक भाग है जिसका नियंत्रण गृह मंत्रालय के पास होता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय नौसेना का विस्तार हुआ था अधिकारी और सैनिकों की संख्या लगभग 30000 हो गई थी। भारतीय नौसेना तीन क्षेत्रों में तैनात रहती है- पूर्व में विशाखापत्तनम, पश्चिमी मुंबई, और दक्षिण में कोच्चि। जिसका नियंत्रण एक फ्लैग अधिकारी द्वारा किया जाता है।
देश को ताकतवर बनाने में भारतीय नौसेना बहुत योगदान रहा है। 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के रूप में मनाते हैं क्योंकि इस दिन भारतीय नौसेना पाकिस्तान के नौ सेना पर भारी पड़ गया था।
भारतीय नौसेना के पास
जहाज – 295, विमान वाहक पोत – 3, युद्धपोत – 4, विध्वंसक – 11, लड़ाकू जलपोत – 23, पनडुब्बी – 15, पेट्रोल क्राफ्ट – 139, युद्धपोत जहाज – 6.
भारतीय नौसेना में पोत के नाम
- विमान वाहक -: विक्रमादित्य, विराट।
- विनाशक -: दिल्ली श्रेणी, राजपूत श्रेणी, कोलकाता श्रेणी।
- फ्रीगेट -: शिवालिक श्रेणी
- ब्रह्मपुत्र श्रेणी -: ब्रह्मपुत्र, व्यास, बेतवा ।
- गोदावरी श्रेणी -: गोदावरी, गोमती, गंगा।
- कार्बेट -: वीर श्रेणी- वीर, निर्भीक, निपट, निरघट, विभूति, विपुल, विनाश, विद्युत, नाशक, प्रलय, प्रबल।
- अभय श्रेणी- अभय, अजय, अक्षय, अग्रय।
- पनडुब्बी -: शिशुमार श्रेणी- शिशुमार, शंकुश, संकुल।
- परमाणु पनडुब्बी- अकुल श्रेणी- चक्र, अरिहंत।
- उभयचर युद्धपोत -: मगर श्रेणी- मगर, घड़ियाल, एरावत।
- कुम्भीर श्रेणी- चीता, महिष, गुलदार, कुम्भीर।
- गस्त यान -: सुकन्या श्रेणी- सुकन्या, सुभद्रा, सावित्री, सुजाता, सरयू, सुवर्णा, शारदा, सुमेधा , सुनैना।
- अन्य पोत -: टैंकर- दीपक, ज्योति, आदित्य, टारपीडो रिकवरी पोत, मातंग, गज, निरीक्षक।