संविधान दिवस
संविधान दिवस 2020 में गुरुवार, 26 नवम्बर को मनाया जायेगा.
भारत में संविधान दिवस
भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया. डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है.
भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया. वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है.
भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था. भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था.
जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय ले लिया गया.
भारतीय संविधान की विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- यह लिखित और विस्तृत है.
- यह लोकतांत्रिक सरकार है - निर्वाचित सदस्य.
- मौलिक अधिकार,
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,
- एकल राष्ट्रीयता,
- भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है.
- राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन.
- समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं,
- केंद्र एक बौद्ध 'Ganrajya' के समान है,
- बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव,
- भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है.
- दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है.
- पड़ोसी देशों में से एक भूटान ने भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार कर लिया है.
हम संविधान दिवस को क्यों मनाते है
भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है.
संविधान दिवस भारत के संविधान के महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है। जिसमें लोगो को यह समझाया जाता है कि आखिर कैसे हमारा संविधान हमारे देश के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है तथा डॉ अंबेडकर को हमारे देश के संविधान निर्माण में किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.
आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग-अलग नियम कानून थे, जिन्हें देश के राजनितिक नियम, कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी। जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकार, कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो ताकि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नयी उचाइयों को प्राप्त कर सके। भारत की संविधान सभा ने 26 जनवरी 1949 को भारत के संविधान को अपनाया और इसके प्रभावीकरण की शुरुआत 26 जनवरी 1950 से हुई.
संविधान दिवस पर हमें अपने अंदर ज्ञान का दिपक प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ीयों को हमारे देश के संविधान के महत्व को समझ सके, जिससे की वह इसका सम्मान तथा पालन करें। इसके साथ ही यह हमें वर्तमान से जोड़ने का कार्य करता है, जब लोग जनतंत्र का महत्व दिन-प्रतिदिन भूलते जा रहे है। यही वह तरीका जिसे अपनाकर हम अपने देश के संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजली प्रदान कर सकते है और लोगो में उनके विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकते है.
यह काफी आवश्यक है कि हम अपनी आने वाली पीड़ीयो को अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष और इसमें योगदान देने वाले क्रांतिकारियों के विषय में बताए ताकि वह इस बात को समझ सकें की आखिर कितनी कठिनाइयों का बाद हमारे देश को स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई है। संविधान दिवस वास्तव में वह दिन है जो हमें हमारे ज्ञान के इस दीपक को हमारे आने वाली पीढ़ीयों तक पहुंचाने में हमारी सहायता करता है.
संविधान दिवस ना सिर्फ हमें अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष की याद दिलाता है बल्कि की हमे हमारे देश के उन गुमनाम नायकों की भी याद दिलाता है, जिनका इस संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान रहा है। हमारे देश के संविधान निर्माण में उनके द्वारा किये गये इस कठिन परिश्रम को अनदेखा नही किया जा सकता है, इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि हम उनके इन महान कार्यों के लिए हम उन्हें इस विशेष दिन श्रद्धांजलि अर्पित करें.
संविधान निर्माण का श्रेय संविधान सभा के हर एक व्यक्ति को जाता है। संविधान दिवस का मुख्य मकसद हमारे देश के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर और इसके निर्माण में उनका साथ निभाने वाले अन्य सदस्यों के अभिवादन के लिए मनाया जाता है। क्योंकि उनके इस कठिन परिश्रम द्वारा ही भारत आज हर क्षेत्र में नये उचाइयों को प्राप्त कर रहा है.