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Monday, December 21, 2020

National Mathematics Day: 22 Dec 2020

 

National Mathematics Day: 22 Dec 2020

National Mathematics Day is celebrated on 22 December every year to mark the birth anniversary of legendary Indian mathematician, Srinivasa Ramanujan and his contributions in the field of mathematics. Let us read more about National Mathematics Day, its history, significance and how is it celebrated in India.


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As we know that since ancient times various scholars had made significant contributions to mathematics including Aryabhata, Brahmagupta, Mahavira, Bhaskara II, Srinivasa Ramanujan, etc. At a very young age, Srinivasa Ramanujan showed the signs of an unfolding genius, and his contributions regarding fractions, infinite series, number theory, mathematical analysis, etc. set an example in mathematics.

National Mathematics Day: History

On 22 December 2012, the former Prime Minister of India, Dr. Manmohan Singh, paid tribute to Srinivasa Ramanujan at a function organised on the occasion of the 125th birth anniversary of the great mathematician Srinivasa Iyengar Ramanujan in Chennai. 22 December was declared as National Mathematics Day. Thus, on 22 December 2012, National Mathematics Day was celebrated across the country for the first time.

National Mathematics Day 2020: Significance

The main objective behind the celebration is to raise awareness among people about the importance of mathematics for the development of humanity. We can't ignore that several initiatives are taken to motivate, enthuse and inculcate a positive attitude towards learning mathematics among the younger generation of the country. On this day, training is also provided to the mathematics teachers and students through camps and highlights the development, production, and dissemination of teaching-learning materials (TLM) for Mathematics and research in related areas.

How is National Mathematics Day celebrated?

National Mathematics Day is celebrated in various schools, colleges, universities, and educational institutions in India. Even the International Society UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organisation) and India had agreed to work together to spread mathematics learning and understanding. Along with this, various steps were taken to educate the students in mathematics and spread knowledge to the students and learners all over the world.

Born on this day in the year 1887, Srinivasa Ramanujan is a name to reckon among pioneers in Mathematics. In 2012 former Prime Minister Manmohan Singh had declared his birthday (December 22) as National Mathematics Day. Today from every nook and corner of the country, tributes have been pouring in for the legend.

Legendary mathematician Srinivasa Ramanujan made extraordinary contributions to mathematical analysis, number theory, infinite series & continued fractions.

In his college days, he failed in non-mathematical subjects due to negligence as he was always busy studying mathematics.

His knowledge in mathematics was recognized by a mathematician at Madras Port Trust where he had started working as a clerk in 1912. The said colleague referred him to Professor GH Hardy, Trinity College, Cambridge University.

The Mathematics legend had joined the Trinity College a few months before World War I began. In 1916 he was awarded the Bachelor of Science degree; the next year he was elected to the London Mathematical Society. In 1918 he was elected a Fellow of the Royal Society for his research on Elliptic Functions and the theory of numbers. The same year in October he became the first Indian to be elected a Fellow of Trinity College, Cambridge. In 1919, he returned to India. He breathed his last at the age of 32.

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Sunday, December 13, 2020

श्रीनिवास रामानुजन


 

श्रीनिवास रामानुजन


महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन बचपन में अटपटे सवाल पूछते थे...

भारत की उपजाऊ भूमि से आर्यभट्ट और जैसे पैदा हुए हैं जिन्होंने गणित की दुनिया अपने कामों से अनंत ऊंचाई हासिल की। आइए जानते हैं रामानुजन के बारे में कुछ अनूठी बातें...

 
 
 
 

श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। उन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। उन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिये। उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किये थे जो आज भी उपयोग किये जाते है। उनके प्रयोगों को उस समय जल्द ही भारतीय गणितज्ञो ने मान्यता दे दी थी।
जब उनका हुनर ज्यादातर गणितज्ञो के समुदाय को दिखाई देने लगा। तब उन्होंने इंग्लिश गणितज्ञ जी.एच्. हार्डी से भागीदारी कर ली। उन्होंने पुराने प्रचलित थ्योरम की पुनः खोज की ताकि उसमे कुछ बदलाव करके नया थ्योरम बना सके।
श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan ज्यादा उम्र तक तो जी नही पाये लेकिन अपने छोटे जीवन में ही उन्होंने लगभग 3900 के आस-पास प्रमेयों का संकलन कीया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके है। और उनके अधिकांश प्रमेय लोग जानते है। उनके बहोत से परीणाम जैसे की रामानुजन प्राइम और रामानुजन थीटा बहोत प्रसिद्ध है। यह उनके महत्वपूर्ण प्रमेयों में से एक है। 

 श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। उन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। उन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिये। उन्होंने गणित के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किये थे जो आज भी उपयोग किये जाते है। उनके प्रयोगों को उस समय जल्द ही भारतीय गणितज्ञो ने मान्यता दे दी थी।

जब उनका हुनर ज्यादातर गणितज्ञो के समुदाय को दिखाई देने लगा। तब उन्होंने इंग्लिश गणितज्ञ जी.एच्. हार्डी से भागीदारी कर ली। उन्होंने पुराने प्रचलित थ्योरम की पुनः खोज की ताकि उसमे कुछ बदलाव करके नया थ्योरम बना सके।

उनका परीवारीक घर आज एक म्यूजियम है। जब रामानुजन देड (1/5) साल के थे, तभी उनकी माता ने एक और बेटे सदगोपन को जन्म दिया, जिसका बाद में तीन महीनो के भीतर ही देहांत हो गया।
दिसंबर 1889 में, रामानुजन को चेचक की बीमारी हो गयी। इस बीमारी से पिछले एक साल में उनके जिले के हजारो लोग मारे गए थे। लेकिन रामानुजन जल्द ही इस बीमारी से ठीक हो गये थे। इसके बाद वे अपने माता के साथ मद्रास (चेन्नई) के पास के गाव कांचीपुरम में माता-पिता के घर में रहने चले गए।
नवंबर 1891 और फीर 1894 में, उनकी माता ने दो और बच्चों को जन्म दिया। लेकिन फिर से उनके दोनों बच्चो की बचपन में ही मृत्यु हो गयी।
1 अक्टूबर 1892 को श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan को स्थानिक स्कूल में डाला गया। मार्च 1894 में, उन्हें तामील मीडियम स्कूल में डाला गया।

गणित में उनका मुख्य योगदान मुख्य रूप से विश्लेषण, खेल सिद्धांत और अनंत श्रृंखला में है। उन्होंने गेम थ्योरी की प्रगति के लिए प्रेरणा देने वाले नए और उपन्यास विचारों को प्रकाश में लाकर विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए गहराई से विश्लेषण किया। ऐसी उनकी गणितीय प्रतिभा थी कि उन्होंने अपने स्वयं के प्रमेयों की खोज की।

इस श्रृंखला ने आज उपयोग किए जाने वाले कुछ एल्गोरिदम का आधार बनाया है। ऐसा ही एक उल्लेखनीय उदाहरण है जब उन्होंने अपने रूममेट की द्विभाजित समस्या को एक ऐसे उपन्यास के साथ हल कर दिया जिसका उत्तर निरंतर अंश के माध्यम से समस्याओं के पूरे वर्ग को हल करता है। इसके अलावा उन्होंने कुछ पूर्व की अज्ञात पहचान भी बनाईं जैसे कि हाइपरबोलिंडेंट सेक्रेटरी के लिए गुणांक को जोड़ना और पहचान प्रदान करना।

रामानुजन को अपनी माता से काफी लगाव था। अपनी माँ से रामानुजन ने प्राचीन परम्पराओ और पुराणों के बारे में सीखा था। उन्होंने बहोत से धार्मिक भजनों को गाना भी सीख लिया था ताकि वे आसानी से मंदिर में कभी-कभी गा सके। ब्राह्मण होने की वजह से ये सब उनके परीवार का ही एक भाग था। कंगयां प्राइमरी स्कूल में, रामानुजन एक होनहार छात्र थे।
बस 10 साल की आयु से पहले, नवंबर 1897 में, उन्होंने इंग्लिश, तमिल, भूगोल और गणित की प्राइमरी परीक्षा उत्तीर्ण की और पुरे जिले में उनका पहला स्थान आया। उसी साल, रामानुजन शहर की उच्च माध्यमिक स्कूल में गये जहा पहली बार उन्होंने गणित का अभ्यास कीया।
Srinivasa Ramanujan Childhood:
11 वर्ष की आयु से ही श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan अपने ही घर पर किराये से रह रहे दो विद्यार्थियो से गणित का अभ्यास करना शुरू कीया था। बाद में उन्होंने एस.एल. लोनी द्वारा लिखित एडवांस ट्रिग्नोमेट्री का अभ्यास कीया।
13 साल की अल्पायु में ही वे उस किताब के मास्टर बन चुके थे और उन्होंने खुद कई सारे थ्योरम की खोज की। 14 वर्ष की आयु में उन्हें अपने योगदान के लिये मेरिट सर्टिफिकेट भी दिया गया और साथ ही अपनी स्कूल शिक्षा पुरी करने के लिए कई सारे अकादमिक पुरस्कार भी दिए गए और सांभर तंत्र की स्कूल में उन्हें 1200 विद्यार्थी और 35 शिक्षको के साथ प्रवेश दिया गया।
गणित की परीक्षा उन्होंने दिए गए समय से आधे समय में ही पूरी कर ली थी। और उनके उत्तरो से ऐसा लग रहा था जैसे ज्योमेट्री और अनंत सीरीज से उनका घरेलु सम्बन्ध हो।
रामानुजन ने 1902 में घनाकार समीकरणों को आसानी से हल करने के उपाय भी बताये और बाद में क्वार्टीक (Quartic) को हल करने की अपनी विधि बनाने में लग गए। उसी साल उन्होंने जाना की क्विन्टिक (Quintic) को रेडिकल्स (Radicals) की सहायता से हल नही किया जा सकता।

ramanujan Essay in 300 words

उनके नाना के कांचीपुरम के कोर्ट में कर रहे जॉब को खो देने के बाद, रामानुजन और उनकी माता कुम्भकोणम गाव वापिस आ गयी और उन्होंने रामानुजन को कंगयां प्राइमरी स्कूल में डाला। जब उनके दादा का देहांत हुआ, तो रामानुजन को उनके नाना के पास भेज दिया गया। जो बाद में मद्रास में रहने लगे थे।

उन्होंने उस समय परीक्षा में सर्वाधिक गुण प्राप्त किये थे। इसे देखते हुए गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज, कुम्बकोणं में पढ़ने के लिये उन्हें शिष्यवृत्ति दी गयी। लेकीन गणित में ज्यादा रूचि होने की वजह से रामानुजम दुसरे विषयो पर ध्यान नही दे पाते थे।

1905 में वे घर से भाग गए थे, और विशाखापत्तनम में 1 महीने तक राजमुंदरी के घर रहने लगे। और बाद में मद्रास के महाविद्यालय में पढ़ने लगे। लेकिन बाद में बिच में ही उन्होंने वह कॉलेज छोड़ दिया।

विद्यालय छोड़ने के बाद का पांच वर्षों का समय इनके लिए बहुत हताशा भरा था। भारत इस समय परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा था। चारों तरफ भयंकर ग़रीबी थी। ऐसे समय में रामानुजन के पास न कोई नौकरी थी और न ही किसी संस्थान अथवा प्रोफ़ेसर के साथ काम करने का मौका। बस उनका ईश्वर पर अटूट विश्वास और गणित के प्रति अगाध श्रद्धा ने उन्हें कर्तव्य मार्ग पर चलने के लिए सदैव प्रेरित किया।

श्रीनिवास रामानुजन के प्रमुख कार्य / important work Of Srinivasa Ramanujan
रामानुजन और इनके द्वारा किए गए अधिकांश कार्य अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। एक बहुत ही सामान्य परिवार में जन्म ले कर पूरे विश्व को आश्चर्यचकित करने की अपनी इस यात्रा में इन्होने भारत को अपूर्व गौरव प्रदान किया।

श्रीनिवास रामानुजन अधिकतर गणित के महाज्ञानी भी कहलाते है। उस समय के महान व्यक्ति लोन्हार्ड यूलर और कार्ल जैकोबी भी उन्हें खासा पसंद करते थे। जिनमे हार्डी के साथ रामानुजन ने विभाजन फंक्शन P(n) का अभ्यास कीया था। इन्होने शून्य और अनन्त को हमेशा ध्यान में रखा और इसके अंतर्सम्बन्धों को समझाने के लिए गणित के सूत्रों का सहारा लिया। वह अपनी विख्यात खोज गोलिय विधि (Circle Method) के लिए भी जाने जाते है।

श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan स्कूल में हमेशा ही अकेले रहते थे। उनके सहयोगी उन्हें कभी समझ नही पाये थे। रामानुजन गरीब परीवार से सम्बन्ध रखते थे और अपने गणितो का परीणाम देखने के लिए वे पेपर की जगह कलमपट्टी का उपयोग करते थे। शुद्ध गणित में उन्हें कीसी प्रकार का प्रशिक्षण नही दिया गया था।
गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज में पढ़ने के लिये उन्हें अपनी शिष्यवृत्ति खोनी पड़ी थी और गणित में अपने लगाव से बाकी दुसरे विषयो में वे फेल हुए थे।
रामानुजन ने कभी कोई कॉलेज डिग्री प्राप्त नही की। फिर भी उन्होंने गणित के काफी प्रचलित प्रमेयों को लिखा। लेकिन उनमे से कुछ को वे सिद्ध नही कर पाये।
इंग्लैंड में हुए जातिवाद के वे गवाह बने थे।
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन नंबर के नाम से जाना जाता है।
2014 में उनके जीवन पर आधारीत तमिल फ़िल्म ‘रामानुजन का जीवन’ बनाई गयी थी।
उनकी 125 वी एनिवर्सरी पर गूगल ने अपने लोगो को इनके नाम पर करते हुए उन्हें सम्मान अर्जित कीया था।

रामानुजन को मद्रास में स्कूल जाना पसन्द नही था, इसीलिए वे ज्यादातर स्कूल नही जाते थे। उनके परिवार ने रामानुजन के लिये एक चौकीदार भी रखा था ताकि रामानुजन रोज स्कूल जा सके। और इस तरह 6 महीने के भीतर ही रामानुजन कुम्भकोणम वापिस आ गये। जब ज्यादातर समय रामानुजन के पिता काम में व्यस्त रहते थे। तब उनकी माँ उनकी बहोत अच्छे से देखभाल करती थी।

जब उनका हुनर ज्यादातर गणितज्ञो के समुदाय को दिखाई देने लगा। तब उन्होंने इंग्लिश गणितज्ञ जी.एच्. हार्डी से भागीदारी कर ली। उन्होंने पुराने प्रचलित थ्योरम की पुनः खोज की ताकि उसमे कुछ बदलाव करके नया थ्योरम बना सके।

श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan ज्यादा उम्र तक तो जी नही पाये लेकिन अपने छोटे जीवन में ही उन्होंने लगभग 3900 के आस-पास प्रमेयों का संकलन कीया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके है। और उनके अधिकांश प्रमेय लोग जानते है। उनके बहोत से परीणाम जैसे की रामानुजन प्राइम और रामानुजन थीटा बहोत प्रसिद्ध है। यह उनके महत्वपूर्ण प्रमेयों में से एक है।

उनके काम को उन्होंने उनके अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन रामानुजन जर्नल में भी प्रकाशित किया है। ताकि उनके गणित प्रयोगों को सारी दुनिया जान सके और पूरी दुनिया में उनका उपयोग हो सके। उनका यह अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन पुरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया था। और काफी लोग गणित के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान से प्रभावित भी हुए थे।

श्रीनिवास रामानुजन का प्रारंभिक जीवन / Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi
श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयंबटूर के ईरोड, मद्रास (अभी का तमिलनाडु) नाम के गांव में हुआ था। वह पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उनके पिता श्रीनिवास अय्यंगर जिले की ही एक साडी की दुकान में क्लर्क थे। उनकी माता, कोमल तम्मल एक गृहिणी थी और साथ ही स्थानिक मंदिर की गायिका थी। वह अपने परीवार के साथ कुम्भकोणम गाव में सारंगपाणी स्ट्रीट के पास अपने पुराने घर में रहते थे।

उनका परीवारीक घर आज एक म्यूजियम है। जब रामानुजन देड (1/5) साल के थे, तभी उनकी माता ने एक और बेटे सदगोपन को जन्म दिया, जिसका बाद में तीन महीनो के भीतर ही देहांत हो गया।

दिसंबर 1889 में, रामानुजन को चेचक की बीमारी हो गयी। इस बीमारी से पिछले एक साल में उनके जिले के हजारो लोग मारे गए थे। लेकिन रामानुजन जल्द ही इस बीमारी से ठीक हो गये थे। इसके बाद वे अपने माता के साथ मद्रास (चेन्नई) के पास के गाव कांचीपुरम में माता-पिता के घर में रहने चले गए।

नवंबर 1891 और फीर 1894 में, उनकी माता ने दो और बच्चों को जन्म दिया। लेकिन फिर से उनके दोनों बच्चो की बचपन में ही मृत्यु हो गयी।

1 अक्टूबर 1892 को श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan को स्थानिक स्कूल में डाला गया। मार्च 1894 में, उन्हें तामील मीडियम स्कूल में डाला गया।

उनके नाना के कांचीपुरम के कोर्ट में कर रहे जॉब को खो देने के बाद, रामानुजन और उनकी माता कुम्भकोणम गाव वापिस आ गयी और उन्होंने रामानुजन को कंगयां प्राइमरी स्कूल में डाला। जब उनके दादा का देहांत हुआ, तो रामानुजन को उनके नाना के पास भेज दिया गया। जो बाद में मद्रास में रहने लगे थे।


रामानुजन को मद्रास में स्कूल जाना पसन्द नही था, इसीलिए वे ज्यादातर स्कूल नही जाते थे। उनके परिवार ने रामानुजन के लिये एक चौकीदार भी रखा था ताकि रामानुजन रोज स्कूल जा सके। और इस तरह 6 महीने के भीतर ही रामानुजन कुम्भकोणम वापिस आ गये। जब ज्यादातर समय रामानुजन के पिता काम में व्यस्त रहते थे। तब उनकी माँ उनकी बहोत अच्छे से देखभाल करती थी।

रामानुजन को अपनी माता से काफी लगाव था। अपनी माँ से रामानुजन ने प्राचीन परम्पराओ और पुराणों के बारे में सीखा था। उन्होंने बहोत से धार्मिक भजनों को गाना भी सीख लिया था ताकि वे आसानी से मंदिर में कभी-कभी गा सके। ब्राह्मण होने की वजह से ये सब उनके परीवार का ही एक भाग था। कंगयां प्राइमरी स्कूल में, रामानुजन एक होनहार छात्र थे।

बस 10 साल की आयु से पहले, नवंबर 1897 में, उन्होंने इंग्लिश, तमिल, भूगोल और गणित की प्राइमरी परीक्षा उत्तीर्ण की और पुरे जिले में उनका पहला स्थान आया। उसी साल, रामानुजन शहर की उच्च माध्यमिक स्कूल में गये जहा पहली बार उन्होंने गणित का अभ्यास कीया।

11 वर्ष की आयु से ही श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan अपने ही घर पर किराये से रह रहे दो विद्यार्थियो से गणित का अभ्यास करना शुरू कीया था। बाद में उन्होंने एस.एल. लोनी द्वारा लिखित एडवांस ट्रिग्नोमेट्री का अभ्यास कीया।

13 साल की अल्पायु में ही वे उस किताब के मास्टर बन चुके थे और उन्होंने खुद कई सारे थ्योरम की खोज की। 14 वर्ष की आयु में उन्हें अपने योगदान के लिये मेरिट सर्टिफिकेट भी दिया गया और साथ ही अपनी स्कूल शिक्षा पुरी करने के लिए कई सारे अकादमिक पुरस्कार भी दिए गए और सांभर तंत्र की स्कूल में उन्हें 1200 विद्यार्थी और 35 शिक्षको के साथ प्रवेश दिया गया।

गणित की परीक्षा उन्होंने दिए गए समय से आधे समय में ही पूरी कर ली थी। और उनके उत्तरो से ऐसा लग रहा था जैसे ज्योमेट्री और अनंत सीरीज से उनका घरेलु सम्बन्ध हो।

रामानुजन ने 1902 में घनाकार समीकरणों को आसानी से हल करने के उपाय भी बताये और बाद में क्वार्टीक (Quartic) को हल करने की अपनी विधि बनाने में लग गए। उसी साल उन्होंने जाना की क्विन्टिक (Quintic) को रेडिकल्स (Radicals) की सहायता से हल नही किया जा सकता।

सन् 1905 में श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan मद्रास विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हुए परंतु गणित को छोड़कर शेष सभी विषयों में वे अनुत्तीर्ण हो गए। कुछ समय बाद 1906 एवं 1907 में रामानुजन ने फिर से बारहवीं कक्षा की प्राइवेट परीक्षा दी और अनुत्तीर्ण हो गए।

रामानुजन 12वीं में दो बार फेल हुए थे और इससे पहले उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पहले दरजे से पास की थी। जिस गवर्नमेंट कॉलेज में पढ़ते हुए वे दो बार फेल हुए, बाद में उस कॉलेज का नाम बदल कर उनके नाम पर ही रखा गया।

श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan जब मैट्रिक कक्षा में पढ़ रहे थे उसी समय उन्हें स्थानीय कॉलेज की लाइब्रेरी से गणित का एक ग्रन्थ मिला। ‘ए सिनोप्सिस आफ एलीमेंट्री रिजल्ट्स इन प्योर एंड एप्लाइड मैथमेटिक्स (Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics)’ लेखक थे ‘जार्ज एस. कार्र (George Shoobridge Carr).’ रामानुजन ने जार्ज एस. कार्र की गणित के परिणामों पर लिखी किताब पढ़ी और इस पुस्तक से प्रभावित होकर स्वयं ही गणित पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया।

इस पुस्तक में उच्च गणित के कुल 5000 फार्मूले दिये गये थे। जिन्हें रामानुजन ने केवल 16 साल की आयु में पूरी तरह आत्मसात कर लिया था।

1904 में हायर सेकेंडरी स्कूल से जब रामानुजन ग्रेजुएट हुए तो गणित में उनके अतुल्य योगदान के लिये उन्हें स्कूल के हेडमास्टर कृष्णास्वामी अय्यर द्वारा उन्हें के. रंगनाथ राव पुरस्कार दिया गया। जिसमे रामानुजन को एक होनहार और बुद्धिमान विद्यार्थी बताया गया था।

Wednesday, November 25, 2020

 

संविधान दिवस



संविधान दिवस 2020

संविधान दिवस 2020 में गुरुवार, 26 नवम्बर को मनाया जायेगा.

भारत में संविधान दिवस

भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया. डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है.

भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया. वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है.

भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था. भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था.

जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय ले लिया गया.

भारतीय संविधान की विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • यह लिखित और विस्तृत है.
  • यह लोकतांत्रिक सरकार है - निर्वाचित सदस्य.
  • मौलिक अधिकार,
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,
  • एकल राष्ट्रीयता,
  • भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है.
  • राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन.
  • समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं,
  • केंद्र एक बौद्ध 'Ganrajya' के समान है,
  • बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव,
  • भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है.
  • दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है.
  • पड़ोसी देशों में से एक भूटान ने भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार कर लिया है.

हम संविधान दिवस को क्यों मनाते है

भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है.

संविधान दिवस भारत के संविधान के महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है। जिसमें लोगो को यह समझाया जाता है कि आखिर कैसे हमारा संविधान हमारे देश के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है तथा डॉ अंबेडकर को हमारे देश के संविधान निर्माण में किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.

आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग-अलग नियम कानून थे, जिन्हें देश के राजनितिक नियम, कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी। जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकार, कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो ताकि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नयी उचाइयों को प्राप्त कर सके। भारत की संविधान सभा ने 26 जनवरी 1949 को भारत के संविधान को अपनाया और इसके प्रभावीकरण की शुरुआत 26 जनवरी 1950 से हुई.

संविधान दिवस पर हमें अपने अंदर ज्ञान का दिपक प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ीयों को हमारे देश के संविधान के महत्व को समझ सके, जिससे की वह इसका सम्मान तथा पालन करें। इसके साथ ही यह हमें वर्तमान से जोड़ने का कार्य करता है, जब लोग जनतंत्र का महत्व दिन-प्रतिदिन भूलते जा रहे है। यही वह तरीका जिसे अपनाकर हम अपने देश के संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजली प्रदान कर सकते है और लोगो में उनके विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकते है.

यह काफी आवश्यक है कि हम अपनी आने वाली पीड़ीयो को अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष और इसमें योगदान देने वाले क्रांतिकारियों के विषय में बताए ताकि वह इस बात को समझ सकें की आखिर कितनी कठिनाइयों का बाद हमारे देश को स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई है। संविधान दिवस वास्तव में वह दिन है जो हमें हमारे ज्ञान के इस दीपक को हमारे आने वाली पीढ़ीयों तक पहुंचाने में हमारी सहायता करता है.

संविधान दिवस ना सिर्फ हमें अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष की याद दिलाता है बल्कि की हमे हमारे देश के उन गुमनाम नायकों की भी याद दिलाता है, जिनका इस संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान रहा है। हमारे देश के संविधान निर्माण में उनके द्वारा किये गये इस कठिन परिश्रम को अनदेखा नही किया जा सकता है, इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि हम उनके इन महान कार्यों के लिए हम उन्हें इस विशेष दिन श्रद्धांजलि अर्पित करें.

संविधान निर्माण का श्रेय संविधान सभा के हर एक व्यक्ति को जाता है। संविधान दिवस का मुख्य मकसद हमारे देश के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर और इसके निर्माण में उनका साथ निभाने वाले अन्य सदस्यों के अभिवादन के लिए मनाया जाता है। क्योंकि उनके इस कठिन परिश्रम द्वारा ही भारत आज हर क्षेत्र में नये उचाइयों को प्राप्त कर रहा है.

Wednesday, November 11, 2020

MY BOOK MY FRIEND

 


#MY BOOK MY FRIEND

विश्र्व पुस्‍तक दिवस के अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्विटर पर ‘#My Book My Friend’ अभियान शुरू किया है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर कर बताया कि जब आप एक पुस्तक खोलते हैं तो आप एक नई दुनिया खोलते हैं।किताबों से बेहतर दोस्त, बेहतर ताकत, बेहतर प्रेरणा देने वाला और बेहतर मार्गदर्शक कोई भी नहीं हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा किताबें सदा हमारे साथ रहती हैं और हमें जिंदगी के मुश्किल समय में सहारा देती हैं।

उन्होंने सभी विद्यार्थियों से अपील की, लॉक डाउन के समय में वो कोर्स की किताबों के अलावा अपनी रुचि की कोई ना कोई किताब ज़रूर पढ़ें, इससे उनको काफ़ी कुछ नया सीखने और जानने का मौक़ा मिलेगा। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से आग्रह किया कि आप सभी एक पुस्तक पढ़कर सोशल मीडिया के माध्यम से #My Book My Friend के जरिये  मुझे उसके बारे में बताएं कि इस समय वो कौन सी पुस्तक पढ़ रहें हैं|

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस मुहिम से विद्यार्थियों के साथ ही सभी लोगों से जुड़ने की अपील की है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों को टैग करके उनसे इस  अभियान से जुड़ने की अपील की है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने भारत के विविध क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को भी इस मुहिम से जुड़ने की अपील की है ताकि इससे सभी देशवासियों को प्रेरणा मिल सके।

Tuesday, November 10, 2020

विश्व विज्ञान दिवस

 विश्व विज्ञान दिवस

World Science day Theme 2020 

  “Science for and with Society in dealing with the global pandemic”.


आज हम आसमान में पक्षियों से तेज उड़ सकते हैं, समुद्र में शार्क से तेज तैर सकते हैं। जमीन पर घोड़े से भी तेज भाग सकते हैं, अपनों से बस कुछ ही सेंकेंडों में बात कर सकते हैं भले ही वे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों। सालों महीनों लगने वाले कामों को मिनटों में कर सकते हैं किसकी मदद से? सिर्फ और सिर्फ विज्ञान की। विज्ञान प्रकृति का एक ऐसा वरदान है जिसकी कीमत का हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते।


आज 10 नवंबर है, जिसे हर साल विश्व विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।  सन् 2001 में United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO) के द्वारा प्रस्तावित किया गया था। कि पूरे  विश्व के लिए साल का एक दिन ऐसा होना चाहिए कि उस दिन को विश्व के सारे देश विश्व विज्ञान दिवस के रूप में मना सकें। सन् 2001 में यूनेस्को के द्वारा प्रस्तावित करने के बाद 10 नवंबर 2002 में पहली बार विश्व विज्ञान दिवस पूरे विश्व के द्वारा मनाया गया।

क्यों मनाया जाता है विश्व विज्ञान दिवस ?

1. 10 नवंबर को विश्व विज्ञान दिवस इसलिये मनाया जाता है ताकि लोगों को हमारे वैज्ञानिकों के द्वारा किये जाने वाले अभूतपूर्व कार्यों के बारे में जानकारी मिल सके।

2. हमारे जीवन को पूरी तरह से बदलने वाले विज्ञान के महत्व को समझा जा सके।

3. विश्व में विज्ञान की मदद से जो शांति कार्य किये जा रहे हैं उनकी जानकारी लोगों को हो।

4. विश्व के सभी देश आपस में अपनी विभिन्न तकनीकों को साझा करके विश्व कल्याण के लिए आगे बढें।

10 नवंबर को मनाये जाने वाले विज्ञान दिवस को World Science Day for Peace and Development यानि कि विश्व की शांति और उन्नति के लिए विज्ञान दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

10 नवंबर को मनाये जाने वाले विज्ञान दिवस को World Science Day for Peace and Development यानि कि विश्व की शांति और उन्नति के लिए विज्ञान दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

विज्ञान के चमत्कार हमारा जीवन सहज बनाते हैं पर प्रकृति के चमत्कार धूप, पानी और वनस्पति के बिना तो जीवन का अस्तित्व ही संभव नहीं।
आज़ादी विज्ञान की पहली उत्पादक है। विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तौफ़ा है, इसका हमें सदुपयोग करना चाहिए।

Sunday, November 8, 2020

KAMALA DEVI HARRIS

 Congratulations to...🌹



Kamala Devi Harris was...

The first woman, first African American and first Asian American Vice President in the history of the United States.👍👌


A Few 

Interesting Facts about her...

1.

Born in Oakland, California on October 20, 1964, the eldest of two children born to Shyamala Gopalan, a cancer researcher from India, and Donald Harris, an economist from Jamaica.

2.

Her parents met at UC Berkeley while pursuing graduate degrees, and bonded over a shared passion for the civil rights movement, which was active on campus. After she was born, they took young Kamala along to protests in a stroller.

3.

Her mother chose Kamala’s name as a nod both to her Indian roots—Kamala means “lotus” and is another name for the Hindu goddess Lakshmi—and the empowerment of women.

“A culture that worships goddesses produces strong women,” Gopalan told the Los Angeles Times in 2004.

4.

Harris’ parents divorced when she was 7, and her mother raised her and her sister, Maya, on the top floor of a yellow duplex in Berkeley.

5.

In first grade, Harris was bused to Thousand Oaks Elementary School, which was in its second year of integration. For the next three years, she’d play “Miss Mary Mack” and cat’s cradle with her friends on the bus that traveled from her predominantly black, lower-middle-class neighborhood to her school located in a prosperous white district.

6.

As a child, Harris went to both a Black Baptist church and a Hindu temple—embracing both her South Asian and Black identities. “My mother understood very well that she was raising two black daughters,” Harris later wrote in her autobiography, “and she was determined to make sure we would grow into confident, proud black women.”

7.

She visited India as a child and was heavily influenced by her grandfather, a high-ranking government official who fought for Indian independence, and grandmother, an activist who traveled the countryside teaching impoverished women about birth control.

8.

Harris attended middle school and high school in Montreal after her mom got a teaching job at McGill University and a position as a cancer researcher at Jewish General Hospital.

9.

In Montreal, a 13-year-old Harris and her younger sister, Maya, led a successful demonstration in front of their apartment building in protest of a policy that banned children from playing on the lawn.

10.

After high school, Harris attended Howard University, the prestigious historically Black college in Washington, D.C. She majored in political science and economics, and joined the Alpha Kappa Alpha sorority.

11.

While attending law school in San Francisco, Harris lived with her sister, Maya, and helped potty-train Maya’s daughter.

“I’m dealing with this brutal stuff, dog-eat-dog in school, and then I would come home and we would all stand by the toilet and wave bye to a piece of shit,” Harris recalled in 2018. “It will put this place in perspective.”

12.

In 1990, after passing the bar, Harris joined the Alameda County prosecutor’s office in Oakland as an assistant district attorney focusing on sex crimes.

13.

Harris’ family was initially skeptical of the career choice. While she acknowledged that prosecutors have historically earned a bad reputation, she said she wanted to change the system from the inside.

14.

In 1994, Harris began dating Willie Brown, a powerhouse in California politics who was then the speaker of the state assembly and was 30 years older than Harris. From his perch in the assembly, Brown appointed Harris to the California Unemployment Insurance Appeals Board and the Medical Assistance Commission—positions that together paid her around $80,000 a year on top of her prosecutor’s salary.

15.

In 1995, Brown was elected mayor of San Francisco. That December, Harris broke up with him because “she concluded there was no permanency in our relationship,” Brown told Joan Walsh in 2003. “And she was absolutely right.”

16.

After being recruited to the San Francisco District Attorney’s office by a former colleague in Alameda, Harris cracked down on teenage prostitution in the city, reorienting law enforcement’s approach to focus on the girls as victims rather than as criminals selling sex.

17.

During this time, Harris courted influential friends among San Francisco’s moneyed elite. In 2003, they would provide the financial backing to make her a formidable candidate in her first campaign for office.

18.

In 2003, she ran for district attorney in San Francisco against incumbent Terence Hallinan, her former boss. Her message, a top strategist on that campaign told POLITICO, was: “We’re progressive, like Terence Hallinan, but we’re competent like Terence Hallinan is not.”

19.

She was elected in a runoff with 56.5 percent of the vote. With her victory, she became the first Black woman in California to be elected district attorney.

20.

Her friendship with Barack Obama dates back to his run for Senate in 2004. She was the first notable California officeholder to endorse him during his 2008 presidential bid.

21.

 She married Doug Emhoff, a corporate lawyer in Los Angeles, in 2014 at a small and private ceremony officiated by her sister. Emhoff has two children from his previous marriage; they call Harris “Momala.”

22. 

She ended her presidential campaign in December 2019, a month before the Iowa caucuses, after taking a hard look at her campaign’s financial future and low poll numbers. Internal turmoil cost her presidential bid, with aides accusing Harris of mistreating her staff with sudden layoffs and allowing her sister, Maya, to have too much influence.

23.

She delayed her endorsement for Biden until March 8, when there were no more women left in the race and his nomination was undeniable. Six days after the California primary, she threw her support behind Biden and said he was a leader who could “unify the people.”

24.

She’s an enthusiastic cook who bookmarks recipes from the New York Times’ cooking section and has tried almost all the recipes from Alice Waters’ The Art of Simple Food. Her go-to dinner entree is a simple roast chicken.

25.

She typically wakes up around 6 a.m. and works out for half an hour on the elliptical or SoulCycle. She’ll start the day with a bowl of Raisin Bran with almond milk and tea with honey and lemon before leaving for work.

26.

She describes herself as a “tough” boss—although mostly on herself.


Information collected by ...

Kanak Lata Mishra

Librarian, KV Khichripur

Saturday, November 7, 2020

 

Essay Writing Competition for 'Vigilant India - Prosperous India'

 


Ministry of Electronics & Information Technology (MeitY), Government of India is observing the ‘Vigilance Awareness Fortnight’ ‘सतर्कता जागरुकता पखवाड़ा’ from 27 October to 10 November 2020 to emphasize the importance of integrity in public life. The Theme for the Vigilance Awareness Fortnight is – Satark Bharat, Samriddh Bharat (Vigilant India, Prosperous India). The theme puts the impetus on the thought that the development and progress of the nation take place when individuals and organizations are vigilant in safeguarding integrity as a core value.
All sections of society need to be vigilant in order to uphold integrity in all aspects of our national life. Being vigilant also means improvement of internal processes, time-bound disposal of work, and systemic improvements leveraging technology. Technology can play a significant role in making India vigilant and prosperous through process improvements leading to inclusion, simplification, efficiency, and transparency.
Following the same, to enthuse employees and the public at large towards values of honesty, integrity, sincerity, responsibility, transparency, and service to the nation, MeitY has undertaken an essay writing competition through MyGov platform.


We invite you to be part of the 'Vigilant India - Prosperous India' Vigilance Awareness Week and write an essay any of the following topics below-
1. Unity in Diversity: Positioning India as a Leader in Emerging Global Scenario
2. Resilient India: Turning Crisis into Opportunity
3. Rights Vs Duties: Aware Citizens, Awakened Nation
4. Nation First: Ignited Minds, Prosperous Nation)

Prize
1. A cash prize of Rs. 7000/- to the first best entry
2. A cash prize of Rs. 5000/- to the second-best entry
3. A cash prize of Rs. 3000/- to the third-best entry

The Last Date for submitting your entries is 10th November 2020

Terms & Conditions 
1. The Competition is open to all citizens of India only. 
2. All entries must be submitted on https://www.mygov.in/ Entries submitted through any other medium/mode would not be considered for evaluation. 
3. A participant can send one entry only. In case it is found that any the participant has submitted more than one entry, all the entries will be considered as invalid. 
4. The entry should be original. Copied entries will not be considered under the contest. 
5. The participant must be the same person who has written the writeup and plagiarism would not be accepted. 
6. Please note that the Essay must be original and should not violate any provision of the Indian Copyright Act, 1957. 
7. Anyone found infringing on others’ copyright would be disqualified from the competition. The government of India does not bear any responsibility for copyright violations or infringements of intellectual property carried out by the participants. 
8. Mention the author's name/emails, etc. anywhere in the body of the essay will lead to disqualification. 9. Participant is to make sure that their MyGov profile is accurate and updated since it would be using this for further communication. This includes details such as name, photo, complete postal address, email ID, and phone number. Entries with incomplete profiles would not be considered. 
10. MeitY reserves the right to cancel or amend all or any part of the Competition and/ or the Terms & Conditions/Technical Parameters/ Evaluation Criteria. 
11. However, any changes to the Terms and Conditions/Technical Parameters/Evaluation Criteria, or cancellation of the Contest, will be updated /posted on the MyGov. Platform. It would be the responsibility of the participants to keep themselves informed of any changes in the Terms & Conditions/Technical Parameters/Evaluation Criteria stated for this Contest. 

Criteria of Evaluation 
The write-ups will be evaluated on the basis of the following criteria: 
1. Central Theme – contextual (20%) 
2. Coherence and organization in structure (20%) 
3. Creativity (40%) 
4. Clarity in language expression and Style (20%) 

Mode of submission 
1. The participant should submit the write-up in PDF file format only. 
2. Visit the website https://www.mygov.in/ to submit the essay. 
3. Write-up text should be submitted in readable Font. 
4. Font size should be 12 or 14. 
5. Line spacing should be 1.15 only. 

Friday, October 2, 2020

Photography Contest to Commemorate Birth Anniversary of Mahatma Gandhi

 

Conduct of Online Photography Contest – For School Children 


As a part of two-year commemoration period of 150th birth anniversary of Mahatma Gandhiji, the Department of School Education & Literacy is organizing an online photography contest for school children from now upto 9th October, 2020. The nodal agency for this event will be the NCERT and it will conduct this competition with the support of My Gov. 

In this regard, Sri. R. Trimurthulu, Lecturer in Sociology, SCERT, A.P. is appointed as Nodal officer to coordinate this activity and to make this online photo competition smooth, speedy and successful. The details of the competition and how to apply are enclosed as Annexure. 

In order to make this event a success, all the DEOs / RJDSEs / Principals of IASEs / CTE / DIETs are requested to give vide publicity for maximum participation of students from across the State and to encourage the participation of maximum students from the schools. For any other information please contact through the email: tharunkowshik@gmail.com.



Photography contest to commemorate 150th birth anniversary of Mahatma Gandhiji


1. Nature of contest: Photography contest

2. Theme options for photography contest: "Dignity of Labour" or "Ek Bharat -Shresth Bharat".

3. Camera to be used: Any camera, including camera on cell phones

4. Mode of submission: Jpeg format only

5. Grade categories that can Compete: 

Category - l:Class 1 to 5;

Category - 2: Class 6 to 8;

Category 3:Class 9 to 12

6. Number of entries permitted per student: Only one entry per child

7. Where is the entry to be submitted by student: All students to submit their entries to their respective school.

8. Last date for submission of entry by students to schools: 9th October, 2020

9. Action by schoohThe Principal/Head of school of the concerned school will arrange for selection of one best photograph in each grade category and upload the selected best photos from 10-15 October, 2020 on link mentioned below: https://innovate.mvgov.in/photographv-contest/

10. Mandatory information to be filled by school on My Gov, while uploading entries: Name of child, grade category, name of school, address of school, State/UT where school located, UDISE code of the school, Principal's email ID, contact mobile number of school/Principal/Head of school.

11. Role of NCERT: After submission of all the entries, MyGov/NCERT will arrange these entries State-wise & category-wise and will send them to concerned States/UTs by 20th October, 2020.

12. Role of SCERT of state/UT:The SCERTs may form a 'Committee of Experts' to examine the entries received from States / UTs to select the top 5 entriesof the state/UTfrom each category. These entries may then be forwarded to NCERT latest by 30th October, 2020 for final selection at the national level.

13. State level winners:The top 5 entries of each state from each category shall be considered as state level winners and will be given certificates accordingly by NCERT.

14. Selection of best entries at national level: This selection process will be undertaken by a team authorized by NCERT from 1-15 November, 2020.

15. Announcement of national winners: By NCERT between 15-30 November, 2020

16. Certification: Participation certificates shall be jointly issued by NCERT and MyGov for all participants whose photos are uploaded by the schools on MyGov link.

17. Prizes:NCERT will select top three winners and seven consolation entries in each category. The winners shall be awarded with books, a pen drive with digital resources and cash awards (First Prize Rs. 10,000, Second Prize Rs. 7,000 and Third Prize Rs. 5000). The seven consolation prizes (Each Rs. 2000) shall be awarded in each category.